भारत-दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखने वाला पहला देश बना इसका असर चांद से जुड़ी खबरों से भी देखा जा सकता है जाने किन भारतीयों ने चांद पर जमीन खरीद रखी
Chandrayaan: बस इस समय भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के सबसे ज्यादा खोजी पूछे जाने वाले शब्द की लिस्ट में शामिल हो चुका है चंद्रयान चंद्रयान तीन और चांद की इस सूची में अव्वल होगा भारत के चंद्रयान ने बुधवार शाम को सफलतापूर्वक पहला कदम रखा की पूरी दुनिया में भारत का डंका बज गया चांद पर भारत की मौजूदगी भी इस बात का एक कड़ा सबूत है कि भारतीयों के लिए अंतरिक्ष कार्यक्रम की सफलता किसी भी विकसित देश से कुछ काम नहीं चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखने वाला दुनिया का पहला देश बनकर संपूर्ण विश्व में लोहा मनवा लिया है
चंद्रयान से पहले ही किन भारतीयों ने चांद पर खरीद रखी है जगह?
अब जब भारत चांद तक पहुंच चुका है तो रियल स्टेट के नजरिए से भी चांद पर जमीन नजर आ रही है चांद पर जमीन खरीदने की होड़ पहले ही हो चुकी थी और इसका एक पहलू यह है कि भारतीयों ने चांद पर जमीन के सपने बहुत पहले से ही देख रखे थे याद रहे की साल 2022 में एक खबर आई थी कि त्रिपुरा के एक शिक्षक समान देवनाथ ने इंटरनेशनल लूनर समिति से चांद पर एक एकड़ जमीन खरीदी थी और इसके लिए उन्होंने इंटरनेशनल लैंड्स रजिस्टर से चांद पर जमीन खरीदने के लिए ₹6000 का भुगतान भी किया था उसे समय की खबर थी कि उन्होंने ₹6000 में चांद पर जमीन खरीद रखी है
स्वर्गीय अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने चांद पर खरीद रखी थी जगह
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के बारे में कहा जाता है कि सुशांत सिंह राजपूत ने वर्ष 2018 में चांद पर जमीन खरीदी थी और उन्होंने चांद पर सी ऑफ मेंस के भी एरिया में जमीन ली थी इसके अलावा शाहरुख खान के बारे में भी कहा जाता है कि उनके एक फैन ने उन्हें चांद पर जमीन गिफ्ट में दी थी
बेंगलुरु और हैदराबाद के लोगों ने चांद पर खरीद रखी है जगह
वैसे तो चांद पर जमीन जगह खरीदने के लिए लूनर लेंस रजिस्ट्री के जरिए चांद पर जमीन खरीदी जा सकती है इसके नियमों के मुताबिक चांद पर कम से कम एक एकड़ जमीन खरीदी जा सकती है और इसके लिए एक एकड़ जमीन की कीमत 37 पॉइंट 50 अमेरिकी डॉलर यानी भारतीय रुपए 3152 रुपए का खर्चा होता है
यह पहलू भी जाना बहुत जरूरी है
हालांकि वर्ष 1968 की आउट रेट स्पेस एंट्री के मुताबिक चांद जगह के ऊपर किसी एक देश का अधिकार नहीं अपितु इस पर करीब 110 देशों ने सम्मिलित होकर इस पर हस्ताक्षर किए हुए हैं धरती से बाहर का ब्रह्मांड पूरा मानव जाति कल्याण के लिए है और किसी एक उपग्रह आदि पर जगह का मालिक आना हक ऐसे ही किसी एक देश को नहीं दिया जा सकता लेकिन सालों से लूना सोसायटी इंटरनल और इंटरनेशनल लूनर ट्रेड्स रजिस्ट्री के जरिए चांद पर जगह बेची जा रही है कहा जाता है कि इसे अब ही भी कानूनी मान्यता नहीं मिली है और भारतीय सालों से चांद पर जमीन खरीद रहे हैं
नोट:
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